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श्लोक |
मदच्युद्भिर्गजानीकै: स्यन्दनैर्हेममालिभि: ।
पत्त्यश्वसङ्कुलै: सैन्यै: परीत: कुण्डिनं ययौ ॥ १५ ॥ |
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शब्दार्थ |
मद—मस्तक से चूने वाला द्रव; च्युद्भि:—चूता हुआ; गज—हाथियों के; अनीकै:—समूह से; स्यन्दनै:—रथों के साथ; हेम— सुनहला; मालिभि:—मालाओं से सुसज्जित; पत्ति—पैदल सैनिकों; अश्व—तथा घोड़ों सहित; सङ्कुलै:—एकत्रित; सैन्यै:— सेनाओं द्वारा; परीत:—साथ साथ; कुण्डिनम्—भीष्मक की राजधानी कुण्डिन में; ययौ—गया ।. |
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अनुवाद |
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राजा दमघोष ने मद टपकाते हाथियों, लटकती सुनहरी साँकलों वाले रथों तथा असंख्य घुड़सवार और पैदल सैनिकों के साथ कुण्डिन की यात्रा की। |
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