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श्लोक |
तयोर्निवेशनं श्रीमदुपाकल्प्य महामति: ।
ससैन्ययो: सानुगयोरातिथ्यं विदधे यथा ॥ ३४ ॥ |
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शब्दार्थ |
तयो:—दोनों के लिए; निवेशनम्—ठहरने का स्थान; श्री-मत्—ऐश्वर्यशाली, भव्य; उपाकल्प्य—व्यवस्था करके; महा- मति:—उदार; स—सहित; सैन्ययो:—उनके सैनिकों; स—सहित; अनुगयो:—उनके निजी संगियों; आतिथ्यम्—सत्कार; विदधे—किया; यथा—उचित रीति से ।. |
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अनुवाद |
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उदार राजा ने दोनों प्रभुओं के लिए तथा उनकी सेना एवं उनके संगियों के लिए भव्य आवासों की व्यवस्था की। इस तरह उसने उनको समुचित आतिथ्य प्रदान किया। |
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