हाँ, भगवान् उरुक्रम, आप समुद्र के भीतर शयन करते हैं मानो भौतिक गुणों से भयभीत हों और इस तरह आप शुद्ध चेतना में हृदय के भीतर परमात्मा रूप में प्रकट होते हैं। आप निरन्तर मूर्ख इन्द्रियों के विरुद्ध संघर्ष करते रहते हैं, यहाँ तक कि आपके दास भी अज्ञान के अंधकार में ले जाने वाले साम्राज्य के अवसर को दुत्कार देते हैं।
तात्पर्य
श्लोक १२ में कृष्ण ने कहा था—राजभ्यो बिभ्यत: सुभ्रु समुद्रं शरणं गतान्—हमने राजाओं के भय से समुद्र में जाकर शरण ली। यहाँ श्रीमती रुक्मिणीदेवी इंगित करती हैं कि इस जगत के असली शासक तो प्रकृति के भौतिक गुण हैं, जो सारे जीवों को कर्म करने के लिए बाध्य करते हैं। श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती इंगित करते हैं कि चूँकि भगवान् कृष्ण डरते रहते हैं कि उनके भक्त गुणों के प्रभाव में आ जायेंगे और इन्द्रिय-तृप्ति में फँस जायेंगे इसलिए वे उनके हृदयों के आन्तरिक समुद्र में प्रवेश करते हैं जहाँ वे सर्वज्ञपरमात्मा के रूप में रहने लगते हैं (उपलम्भनमात्र आत्मा )। इस तरह वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उपलम्भनमात्र: शब्द से यह भी सूचित होता है कि भगवान् अपने भक्तों की ध्यान के साधन हैं।
श्लोक १२ में कृष्ण ने यह भी कहा है—बलवद्भि: कृतद्वेषान्—हमने बलवानों से शत्रुता मोल ली है। यहाँ श्रीमती रुक्मिणीदेवी इंगित करती हैं कि वस्तुत: इस जगत में भौतिक इन्द्रियाँ ही प्रबल हैं। भगवान् ने अपने भक्तों के हित में इन्द्रिय-तृप्ति के विरुद्ध युद्ध छेड़ रखा है और इस तरह आध्यात्मिक शुद्धि के उनके संघर्ष में वे निरन्तर उनकी सहायता करते रहते हैं। जब भक्तगण अवांछित भौतिक इच्छाओं से मुक्त हो जाते हैं, तो भगवान् उनके समक्ष प्रकट होते हैं और तब भगवान् तथा उनके भक्तों के मध्य का प्रेममय सम्बन्ध एक अटल तथ्य बन जाता है।
उसी श्लोक में कृष्ण ने कहा है—त्यक्तनृपासनान्—हमने राजसिंहासन को छोड़ दिया। किन्तु यहाँ श्रीमती रुक्मिणीदेवी इंगित करती हैं कि इस संसार में राजनैतिक श्रेष्ठता का पद तथाकथित सशक्त नेताओं को गहन अंधकार में फँसा देता है। कहावत है—“प्रभुता पाइ काहि मद नाहीं।” इस प्रकार भगवान् के प्रिय दास तक राजनैतिक छल तथा शक्ति की राजनीति से कतराते हैं। भगवान् अपने ही आध्यात्मिक आनन्द से तुष्ट रहने के कारण शायद ही संसारी राजनैतिक पद ग्रहण करने में रुचि रखते हों। इस प्रकार श्रीमती रुक्मिणीदेवी भगवान् के कार्यों को उनकी दिव्य प्रकृति के साक्षी के रूप में सही-सही विश्लेषण करती हैं।
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