बाहुषु—बाहों पर; छिद्यमानेषु—काटी जाती हुई; बाणस्य—बाणासुर की; भगवान् भव:—शिवजी; भक्त—अपने भक्त के प्रति; अनुकम्पी—दयालु; उपव्रज्य—पास जाकर; चक्र-आयुधम्—चक्रधारी कृष्ण से; अभाषत—बोले ।.
अनुवाद
बाणासुर की भुजाएँ कटते देखकर शिवजी को अपने भक्त के प्रति दया आ गयी अत: वे भगवान् चक्रायुध (कृष्ण) के पास पहुँचे और उनसे इस प्रकार बोले।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥