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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  10.63.7 
आसीत्सुतुमुलं युद्धमद्भ‍ुतं रोमहर्षणम् ।
कृष्णशङ्करयो राजन् प्रद्युम्नगुहयोरपि ॥ ७ ॥
 
शब्दार्थ
आसीत्—हुआ; सु-तुमुलम्—अत्यन्त घमासान; युद्धम्—युद्ध; अद्भुतम्—अद्भुत; रोम-हर्षणम्—शरीर के रोंगटे खड़ा कर देने वाला; कृष्ण-शङ्करयो:—कृष्ण तथा शिव के मध्य; राजन्—हे राजा (परीक्षित); प्रद्युम्न-गुहयो:—प्रद्युम्न तथा कार्तिकेय के मध्य; अपि—भी ।.
 
अनुवाद
 
 तत्पश्चात् अत्यन्त अद्भुत, घमासान तथा रोंगटे खड़ा कर देने वाला युद्ध प्रारम्भ हुआ जिसमें भगवान् कृष्ण शंकर से और प्रद्युम्न कार्तिकेय से भिड़ गये।
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥