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श्लोक |
ब्रह्मादय: सुराधीशा मुनय: सिद्धचारणा: ।
गन्धर्वाप्सरसो यक्षा विमानैर्द्रष्टुमागमन् ॥ ९ ॥ |
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शब्दार्थ |
ब्रह्म-आदय:—ब्रह्मा इत्यादि; सुर—देवताओं के; अधीशा:—शासक; मुनय:—मुनिगण; सिद्ध-चारणा:—सिद्ध तथा चारण देवतागण; गन्धर्व-अप्सरस:—गन्धर्व तथा अप्सराएँ; यक्षा:—यक्षगण; विमानै:—विमानों से; द्रष्टुम्—देखने के लिए; आगमन्—आये ।. |
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अनुवाद |
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सिद्धों, चारणों, महामुनियों, गन्धर्वों, अप्सराओं तथा यक्षों के साथ ब्रह्मा तथा अन्य शासक देवतागण अपने अपने दिव्य विमानों में चढ़ कर (युद्ध) देखने आये। |
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