श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 64: राजा नृग का उद्धार  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  10.64.24 
पूर्वं देवाशुभं भुञ्ज इति प्राह पतेति स: ।
तावदद्राक्षमात्मानं कृकलासं पतन् प्रभो ॥ २४ ॥
 
शब्दार्थ
पूर्वम्—पहले; देव—हे प्रभु; अशुभम्—पापपूर्ण फल; भुञ्जे—अनुभव करूँगा; इति—ऐसा कहकर; प्राह—कहा; पत—नीचे गिरो; इति—इस प्रकार; स:—वह; तावत्—तभी; अद्राक्षम्—मैंने देखा; आत्मानम्—अपने आपको; कृकलासम्—छिपकली; पतन्—गिरते हुए; प्रभो—हे स्वामी ।.
 
अनुवाद
 
 मैंने कहा : हे प्रभु, पहले मुझे अपने पापों का फल भोगने दें और यमराज बोले, “तो नीचे गिरो।” मैं तुरन्त नीचे गिरा और हे स्वामी, गिरते समय मैंने देखा कि मैं छिपकली बन गया हूँ।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥