श्रीमद् भागवतम
 
हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 67: बलराम द्वारा द्विविद वानर का वध  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  10.67.6 
आश्रमानृषिमुख्यानां कृत्वा भग्नवनस्पतीन् ।
अदूषयच्छकृन्मूत्रैरग्नीन् वैतानिकान् खल: ॥ ६ ॥
 
शब्दार्थ
आश्रमान्—आश्रमों को; ऋषि—ऋषियों के; मुख्यानाम्—प्रमुख; कृत्वा—करके; भग्न—तोड़-फोड़; वनस्पतीन्—वृक्षों को; अदूषयत्—दूषित कर डाला; शकृत्—मल से; मूत्रै:—मूत्र से; अग्नीन्—अग्नियों को; वैतानिकान्—यज्ञ की; खल:—दुष्ट ने ।.
 
अनुवाद
 
 उस दुष्ट वानर ने प्रमुख ऋषियों के आश्रमों के वृक्षों को तहस-नहस कर डाला और अपने मल-मूत्र से यज्ञ की अग्नियों को दूषित कर दिया।
 
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
About Us | Terms & Conditions
Privacy Policy | Refund Policy
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥