श्रीमद् भागवतम
 
हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 75: दुर्योधन का मानमर्दन  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  10.75.13 
सदस्यर्त्विग्द्विजश्रेष्ठा ब्रह्मघोषेणभूयसा ।
देवर्षिपितृगन्धर्वास्तुष्टुवु: पुष्पवर्षिण: ॥ १३ ॥
 
शब्दार्थ
सदस्य—सदस्य; ऋत्विक्—पुरोहित; द्विज—तथा ब्राह्मण; श्रेष्ठा:—श्रेष्ठ; ब्रह्म—वेदों के; घोषेण—ध्वनि से; भूयसा—प्रचुर; देव—देवता; ऋषि—ऋषिगण; पितृ—पुरखे; गन्धर्वा:—तथा स्वर्ग के गवैयों ने; तुष्टुवु:—यशोगान किया; पुष्प—फूलों की; वर्षिण:—वर्षा करते हुए ।.
 
अनुवाद
 
 सभासदों, पुरोहितों तथा अन्य उत्तम ब्राह्मणों ने जोर-जोर से वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया, जबकि देवताओं, ऋषियों, पितरों तथा गन्धर्वों ने यशोगान किया और फूलों की वर्षा की।
 
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
About Us | Terms & Conditions
Privacy Policy | Refund Policy
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥