सु-अलङ्कृता:—अच्छी तरह सजे-धजे; नरा:—पुरुष; नार्य:—तथा स्त्रियाँ; गन्ध—चन्दन-लेप; स्रक्—फूल की मालाओं; भूषण—आभूषणों; अम्बरै:—तथा वस्त्रों से; विलिम्पन्त्य:—चुपड़ कर; अभिषिञ्चन्त्य:—तथा छिडक़ कर; विजह्रु:—खेलने लगे; विविधै:—विविध; रसै:—तरल पदार्थों से ।.
अनुवाद
चन्दन-लेप, पुष्प-मालाओं, आभूषण तथा उत्तम वस्त्र से सज्जित सारे पुरुषों तथा स्त्रियों ने विविध द्रवों को एक-दूसरे पर मल कर तथा छिडक़ कर खूब खिलवाड़ किया।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.