श्रीमद् भागवतम
 
हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 75: दुर्योधन का मानमर्दन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  10.75.19 
पत्नीसंयाजावभृथ्यैश्चरित्वा ते तमृत्विज: ।
आचान्तं स्‍नापयां चक्रुर्गङ्गायां सह कृष्णया ॥ १९ ॥
 
शब्दार्थ
पत्नी-संयाज—यज्ञकर्ता तथा उसकी पत्नी द्वारा सम्पन्न अनुष्ठान, जिसमें सोम, त्वष्टा, कुछ देवियों तथा अग्नि का तर्पण सम्मिलित हैं; अवभृथ्यै:—यज्ञ-पूर्ति के लिए किये गये अनुष्ठान; चरित्वा—सम्पन्न करके; ते—वे; तम्—उसको; ऋत्विज:— पुरोहितगण; आचान्तम्—शुद्धि के लिए जल सुडक़ कर आचमन करके; स्नापयाम् चक्रु:—उन्हें नहलाया; गङ्गायाम्—गंगा नदी में; सह—साथ साथ; कृष्णया—द्रौपदी के ।.
 
अनुवाद
 
 पुरोहितों ने राजा से पत्नी-संयाज तथा अवभृथ्य के अन्तिम अनुष्ठान पूर्ण कराये। तब उन्होंने राजा तथा रानी द्रौपदी से शुद्धि के लिए जल आचमन करने एवं गंगा नदी में स्नान करने के लिए कहा।
 
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
About Us | Terms & Conditions
Privacy Policy | Refund Policy
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥