बन्धून्—दूर के सम्बन्धियों; ज्ञातीन्—परिवार के निकटजनों; नृपान्—राजाओं; मित्र—मित्रों; सुहृद:—तथा शुभचिन्तकों को; अन्यान्—अन्यों को; च—भी; सर्वश:—सभी प्रकार से; अभीक्ष्णम्—निरन्तर; पूजयाम् आस—पूजा की; नारायण-पर:— नारायण-भक्त; नृप:—राजा ने ।.
अनुवाद
भगवान् नारायण के प्रति पूर्णतया समर्पित राजा युधिष्ठिर ने अपने सम्बन्धियों, परिवार वालों, अन्य राजाओं, अपने मित्रों, अपने शुभचिन्तकों तथा वहाँ पर उपस्थित सारे लोगों का निरन्तर सम्मान करते रहे।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.