एकदा—एक दिन; अन्त:-पुरे—महल के भीतर; तस्य—उसके (युधिष्ठिर के); वीक्ष्य—देख कर; दुर्योधन:—दुर्योधन; श्रीयम्—ऐश्वर्य; अतप्यत्—दुखी हुआ; राजसूयस्य—राजसूय यज्ञ की; महित्वम्—महानता को; च—तथा; अच्युत-आत्मन:— उसका (युधिष्ठिर का) जिसकी आत्मा भगवान् अच्युत थे ।.
अनुवाद
एक दिन दुर्योधन राजा युधिष्ठिर के महल के ऐश्वर्य को देख कर राजसूय यज्ञ तथा यज्ञकर्ता राजा की महानता से, जिसका जीवन तथा आत्मा अच्युत भगवान् थे, अत्यधिक विचलित हुआ।
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