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श्लोक 10.76.20  |
तदद्भुचतं महत् कर्म प्रद्युम्नस्य महात्मन: ।
दृष्ट्वा तं पूजयामासु: सर्वे स्वपरसैनिका: ॥ २० ॥ |
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शब्दार्थ |
तत्—उस; अद्भुतम्—चकित करने वाले; महत्—बलशाली; कर्म—कर्तब; प्रद्युम्नस्य—प्रद्युम्न का; महा-आत्मन:—महापुरुष; दृष्ट्वा—देखकर; तम्—उसको; पूजयाम् आसु:—आदर-सम्मान किया; सर्वे—सभी; स्व—अपने पक्ष के; पर—तथा शत्रु पक्ष के; सैनिका:—सिपाही ।. |
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अनुवाद |
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जब उन्होंने यशस्वी प्रद्युम्न को वह चकित करने वाला तथा बलशाली ऐसा करतब करते देखा, तो दोनों पक्षों के सैनिकों ने उसकी प्रशंसा की। |
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