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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 77: कृष्ण द्वारा शाल्व का वध  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  10.77.12 
शाल्वश्च कृष्णमालोक्य हतप्रायबलेश्वर: ।
प्राहरत् कृष्णसूताय शक्तिं भीमरवां मृधे ॥ १२ ॥
 
शब्दार्थ
शाल्व:—शाल्व ने; —तथा; कृष्णम्—कृष्ण को; आलोक्य—देखकर; हत—नष्ट; प्राय—लगभग; बल—सेना का; ईश्वर:—स्वामी; प्राहरत्—उसने चलाया; कृष्ण-सूताय—कृष्ण के सारथी पर; शक्तिम्—अपना भाला; भीम—डरावना; रवाम्—गर्जन की ध्वनि; मृधे—युद्धस्थल में ।.
 
अनुवाद
 
 जब नष्ट-प्राय सेना के स्वामी शाल्व ने कृष्ण को पास आते देखा, तो उसने भगवान् के सारथी पर अपना भाला फेंका। यह भाला युद्धभूमि में से होकर उड़ते समय भयावह गर्जना कर रहा था।
 
 
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