श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 79: भगवान् बलराम की तीर्थयात्रा  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  10.79.26 
युवां तुल्यबलौ वीरौ हे राजन् हे वृकोदर ।
एकं प्राणाधिकं मन्ये उतैकं शिक्षयाधिकम् ॥ २६ ॥
 
शब्दार्थ
युवाम्—तुम दोनों; तुल्य—समान; बलौ—बल या पौरुष में; वीरौ—योद्धा; हे राजन्—हे राजन् (दुर्योधन); हे वृकोदर—हे भीम; एकम्—एक; प्राण—जीवनी-शक्ति में; अधिकम्—अधिक; मन्ये—मानता हूँ; उत—दूसरी ओर; एकम्—एक; शिक्षया—प्रशिक्षण में; अधिकम्—बढक़र ।.
 
अनुवाद
 
 [बलरामजी ने कहा] : हे राजा दुर्योधन, हे भीम, सुनो तो, तुम दोनों योद्धा युद्ध-बल में समान हो। मैं जानता हूँ कि तुम दोनों में से एक में शारीरिक बल अधिक है, जबकि दूसरा कला में अधिक प्रशिक्षित है।
 
तात्पर्य
 भीम शारीरिक दृष्टि से अधिक बलवान था, किन्तु दुर्योधन गदा चलाने की कला में अधिक निपुण था।
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥