सा—माता यशोदा; गृहीत्वा—पकड़ कर; करे—हाथ में; कृष्णम्—कृष्ण को; उपालभ्य—डाँटना चाहा; हित-एषिणी—कृष्ण का कल्याण चाहने के कारण वे क्षुब्ध थीं कि इस कृष्ण ने मिट्टी कैसे खाई?; यशोदा—माता यशोदा ने; भय-सम्भ्रान्त-प्रेक्षण- अक्षम्—कृष्ण के मुँह के भीतर सावधानी से देखने लगी, यह देखने के लिए कि कोई खतरनाक वस्तु तो नहीं भर ली; अभाषत—कृष्ण से कहा ।.
अनुवाद
कृष्ण के साथियों से यह सुनकर, हितैषिणी माता यशोदा ने कृष्ण के मुख के भीतर देखने तथा डाँटने के लिए उन्हें अपने हाथों से ऊपर उठा लिया। वे डरी डरी आँखों से अपने पुत्र से इस प्रकार बोलीं।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥