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श्लोक |
अत्र ते वर्णयिष्यामि गाथां नारायणान्विताम् ।
नारदस्य च संवादमृषेर्नारायणस्य च ॥ ४ ॥ |
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शब्दार्थ |
अत्र—इस सम्बन्ध में; ते—तुमसे; वर्णयिष्यामि—वर्णन करूँगा; गाथाम्—विवरण; नारायण-अन्विताम्—भगवान् नारायण से सम्बन्धित; नारदस्य—नारद की; च—तथा; संवादम्—वार्ता; ऋषे: नारायणस्य—श्री नारायण ऋषि की; च—तथा ।. |
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अनुवाद |
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इस सम्बन्ध में मैं तुम से भगवान् नारायण विषयक एक गाथा कहूँगा। यह उस वार्ता के विषय में है, जो श्री नारायण ऋषि तथा नारद मुनि के मध्य हुई थी। |
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तात्पर्य |
भगवान् नारायण निम्नलिखित गाथा से दो प्रकार से जुड़े |
हैं—उसके वक्ता तथा उसके विषय के रूप में। |
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