श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 1: यदुवंश को शाप  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  11.1.9 
यन्निमित्त: स वै शापो याद‍ृशो द्विजसत्तम ।
कथमेकात्मनां भेद एतत् सर्वं वदस्व मे ॥ ९ ॥
 
शब्दार्थ
यत्-निमित्त:—जिस कारण से उत्पन्न; स:—वह; वै—निस्सन्देह; शाप:—शाप; यादृश:—किस तरह का; द्विज-सत्-तम—हे द्विजश्रेष्ठ; कथम्—कैसे; एक-आत्मनाम्—एक आत्मा (श्रीकृष्ण) में हिस्सा बँटाने वालों का; भेद:—मतभेद; एतत्—यह; सर्वम्—समस्त; वदस्व—कृपया बतायें; मे—मुझको ।.
 
अनुवाद
 
 राजा परीक्षित पूछते रहे : इस शाप का क्या उद्देश्य था? हे द्विजश्रेष्ठ, यह किस तरह का था? और यदुओं में, जो एक ही जीवनलक्ष्य भागी थे, ऐसा मतभेद क्योंकर उत्पन्न हुआ? कृपया, मुझे ये सारी बातें बतलायें।
 
तात्पर्य
 एकात्मनाम् का अर्थ है कि सारे यदु एक ही मत रखते थे—अर्थात् भगवान् कृष्ण ही उनके जीवन के लक्ष्य थे। इसलिए परीक्षित महाराज को यदुवंशियों में ऐसे विध्वंसक कलह का कोई स्पष्ट कारण नहीं दिख रहा था और वे वास्तविक कारण जानने के लिए उत्सुक थे।
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥