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श्लोक 12.1.12  |
स एव चन्द्रगुप्तं वै द्विजो राज्येऽभिषेक्ष्यति ।
तत्सुतो वारिसारस्तु ततश्चाशोकवर्धन: ॥ १२ ॥ |
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शब्दार्थ |
स:—वह (चाणक्य); एव—निस्सन्देह; चन्द्रगुप्तम्—राजकुमार चन्द्रगुप्त को; वै—निस्सन्देह; द्विज:—ब्राह्मण; राज्ये— राज्य में; अभिषेक्ष्यति—अभिषिक्त होगा; तत्—चन्द्रगुप्त का; सुत:—पुत्र; वारिसार:—वारिसार; तु—तथा; तत:— वारिसार के बाद; च—तथा; अशोकवर्धन:—अशोकवर्धन ।. |
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अनुवाद |
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यह ब्राह्मण चन्द्रगुप्त को सिंहासन पर बैठायेगा जिसका पुत्र वारिसार होगा। वारिसार का पुत्र अशोकवर्धन होगा। |
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