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श्लोक 12.11.1  |
श्रीशौनक उवाच
अथेममर्थं पृच्छामो भवन्तं बहुवित्तमम् ।
समस्ततन्त्रराद्धान्ते भवान् भागवत तत्त्ववित् ॥ १ ॥ |
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शब्दार्थ |
श्री-शौनक: उवाच—श्री शौनक ने कहा; अथ—अब; इमम्—यह; अर्थम्—विषय; पृच्छाम:—हम पूछ रहे हैं; भवन्तम्—आप से; बहु-वित्-तमम्—सबसे विस्तृत ज्ञान के स्वामी; समस्त—समस्त; तन्त्र—पूजा की व्यावहारिक विधि बताने वाले शास्त्र; राद्ध-अन्ते—अन्तिम निर्णय; भवान्—आप; भागवत—हे महान् भगवद्भक्त; तत्त्व-वित्—असली तथ्यों के ज्ञाता ।. |
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अनुवाद |
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श्री शौनक ने कहा : हे सूत, आप सर्वश्रेष्ठ विद्वान तथा भगवद्भक्त हैं। अतएव अब हम आपसे समस्त तंत्र शास्त्रों के अन्तिम निर्णय के विषय में पूछते हैं। |
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