श्रीमद् भागवतम
हिंदी में पढ़े और सुनें
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् भगवद गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण - लीला पुरुषोत्तम भगवान
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संसाधन
AudioBooks
संस्कृत शब्द कोष
वैष्णव कैलेंडर / पंचांग
Download
संपर्क
भागवत पुराण
»
स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग
»
अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन
»
श्लोक 19
श्लोक
12.11.19
आतपत्रं तु वैकुण्ठं द्विजा धामाकुतोभयम् ।
त्रिवृद्वेद: सुपर्णाख्यो यज्ञं वहति पूरुषम् ॥ १९ ॥
शब्दार्थ
आतपत्रम्
—उनका छाता;
तु
—तथा;
वैकुण्ठम्
—वैकुण्ठ;
द्विजा:
—हे ब्राह्मणो;
धाम
—उनका निजी धाम;
अकुत: भयम्
—भय से रहित;
त्रि-वृत्
—तीन;
वेद:
—वेद;
सुपर्ण-आख्य:
—सुपर्ण या गरुड़ नामक;
यज्ञम्
—साक्षात् यज्ञ;
वहति
—वहन करता है;
पूरुषम्
—भगवान् को ।.
अनुवाद
play_arrowpause
हे ब्राह्मणो, भगवान् का छाता उनका धाम वैकुण्ठ है जहाँ कोई भय नहीं है और यज्ञ के स्वामी को ले जाने वाला गरुड़, तीनों वेद हैं।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.
श्रीमद् भगवद्गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण लीला
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संस्कृत शब्द कोष
AudioBook
About
वैष्णव कैलेंडरपंचांग
Download
Connect
संपर्क
> हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥