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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  12.11.19 
आतपत्रं तु वैकुण्ठं द्विजा धामाकुतोभयम् ।
त्रिवृद्‌वेद: सुपर्णाख्यो यज्ञं वहति पूरुषम् ॥ १९ ॥
 
शब्दार्थ
आतपत्रम्—उनका छाता; तु—तथा; वैकुण्ठम्—वैकुण्ठ; द्विजा:—हे ब्राह्मणो; धाम—उनका निजी धाम; अकुत: भयम्—भय से रहित; त्रि-वृत्—तीन; वेद:—वेद; सुपर्ण-आख्य:—सुपर्ण या गरुड़ नामक; यज्ञम्—साक्षात् यज्ञ; वहति—वहन करता है; पूरुषम्—भगवान् को ।.
 
अनुवाद
 
 हे ब्राह्मणो, भगवान् का छाता उनका धाम वैकुण्ठ है जहाँ कोई भय नहीं है और यज्ञ के स्वामी को ले जाने वाला गरुड़, तीनों वेद हैं।
 
 
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