श्रीमद् भागवतम
हिंदी में पढ़े और सुनें
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् भगवद गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण - लीला पुरुषोत्तम भगवान
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संसाधन
AudioBooks
संस्कृत शब्द कोष
वैष्णव कैलेंडर / पंचांग
Download
संपर्क
भागवत पुराण
»
स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग
»
अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन
»
श्लोक 36
श्लोक
12.11.36
वसिष्ठो वरुणो रम्भा सहजन्यस्तथा हुहू: ।
शुक्रश्चित्रस्वनश्चैव शुचिमासं नयन्त्यमी ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
वसिष्ठ: वरुण
: रम्भा—वशिष्ठ, वरुण तथा रम्भा;
सहजन्य:
—सहजन्य;
तथा
—भी;
हुहू:
—हूहू;
शुक्र: चित्रस्वन
:—शुक्र तथा चित्रस्वन;
च एव
—भी;
शुचि-मासम्
—शुचि (आषाढ़) मास;
नयन्ति
—शासन चलाते हैं;
अमी
—ये ।.
अनुवाद
play_arrowpause
शुचि मास पर, वसिष्ठ ऋषि, वरुण सूर्य देव, रम्भा अप्सरा, सहजन्य राक्षस, हूहू गन्धर्व, शुक्र नाग तथा चित्रस्वन यक्ष रूप में, शासन करते हैं।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.
श्रीमद् भगवद्गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण लीला
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संस्कृत शब्द कोष
AudioBook
About
वैष्णव कैलेंडरपंचांग
Download
Connect
संपर्क
> हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥