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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  12.11.43 
त्वष्टा ऋचीकतनय: कम्बलश्च तिलोत्तमा ।
ब्रह्मापेतोऽथ शतजिद् धृतराष्ट्र इषम्भरा: ॥ ४३ ॥
 
शब्दार्थ
त्वष्टा—त्वष्टा; ऋचीक-तनय:—ऋचीक का पुत्र (जमदग्नि); कम्बल:—कम्बल; —तथा; तिलोत्तमा—तिलोत्तमा; ब्रह्मापेत:—ब्रह्मापेत; अथ—और; शतजित्—शतजित; धृतराष्ट्र:—धृतराष्ट्र; इषम्-भरा:—इष मास (अश्विन) के पोषक ।.
 
अनुवाद
 
 इष मास का, त्वष्टा सूर्य देव, ऋचीक-पुत्र जमदग्नि मुनि, कम्बलाश्व नाग, तिलोत्तमा अप्सरा, ब्रह्मापेत राक्षस, शतजित यक्ष तथा धृतराष्ट्र गन्धर्व के रूप में, पालन-पोषण करते हैं।
 
 
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