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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 11: महापुरुष का संक्षिप्त वर्णन  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  12.11.45 
एता भगवतो विष्णोरादित्यस्य विभूतय: ।
स्मरतां सन्ध्ययोर्नृणां हरन्त्यंहो दिने दिने ॥ ४५ ॥
 
शब्दार्थ
एता:—ये; भगवत:—भगवान्; विष्णो:—विष्णु के; आदित्यस्य—सूर्य देव के; विभूतय:—ऐश्वर्य; स्मरताम्—स्मरण रखने वालों को; सन्ध्ययो:—दिन की सन्धियों के समय; नृणाम्—ऐसे मनुष्यों के; हरन्ति—हर लेते हैं; अंह:—पाप; दिने दिने—दिन-प्रतिदिन ।.
 
अनुवाद
 
 ये सारे पुरुष सूर्य देव के रूप में भगवान् विष्णु के ऐश्वर्यशाली अंश हैं। ये देव उन लोगों के सारे पापों को दूर कर देते हैं, जो प्रत्येक सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय उनका स्मरण करते हैं।
 
 
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