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श्लोक |
भवे भवे यथा भक्ति: पादयोस्तव जायते ।
तथा कुरुष्व देवेश नाथस्त्वं नो यत: प्रभो ॥ २२ ॥ |
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शब्दार्थ |
भवे भवे—जन्म-जन्मांतर; यथा—जिससे; भक्ति:—भक्ति; पादयो:—चरणकमलों पर; तव—तुम्हारे; जायते—उत्पन्न हो; तथा—उसी तरह; कुरुष्व—कीजिये; देव-ईश—हे ईशों के ईश; नाथ:—स्वामी; त्वम्—तुम; न:—हमारे; यत:— क्योंकि; प्रभो—हे प्रभु ।. |
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अनुवाद |
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हे ईशों के ईश, हे स्वामी, आप हमें जन्म-जन्मांतर तक अपने चरणकमलों की शुद्ध भक्ति का वर दें। |
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