कलियुग समाप्त होने तक सभी प्राणियों के शरीर आकार में अत्यन्त छोटे हो जायेंगे और वर्णाश्रम मानने वालों के धार्मिक सिद्धान्त विनष्ट हो जायेंगे। मानव समाज वेदपथ को पूरी तरह भूल जायेगा और तथाकथित धर्म प्राय: नास्तिक होगा। राजे प्राय: चोर हो जायेंगे; लोगों का पेशा चोरी करना, झूठ बोलना तथा व्यर्थ हिंसा करना हो जायेगा और सारे सामाजिक वर्ण शूद्रों के स्तर तक नीचे गिर जायेंगे। गौवें बकरियों जैसी होंगी; आश्रम संसारी घरों से भिन्न नहीं होंगे तथा पारिवारिक सम्बन्ध तात्कालिक विवाह बंधन से आगे नहीं जायेंगे। अधिकांश वृक्ष तथा जड़ी-बूटियाँ छोटी होंगी और सारे वृक्ष बौने शमी वृक्षों जैसे प्रतीत होंगे। बादल बिजली से भरे होंगे; घर पवित्रता से रहित तथा सारे मनुष्य गधों जैसे हो जायेंगे। उस समय भगवान् पृथ्वी पर प्रकट होंगे। वे शुद्ध सतोगुण की शक्ति से कर्म करते हुए शाश्वत धर्म की रक्षा करेंगे।
तात्पर्य
इन लोकों में यह महत्त्वपूर्ण बात कही गई है कि इस युग में तथाकथित धर्म नास्तिक होंगे (पाषण्डप्रचुरे धर्मे )। भागवत की भविष्यवाणी की पुष्टि में हाल ही में संयुक्त राज्य के सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया है कि धर्म होने के लिए विश्वास की प्रणाली में किसी परम पुरुष को मान्यता देना आवश्यक नहीं है। यही नहीं, प्राच्य देशों से लाये गये अनेक नास्तिक, शून्यवादी विश्वास प्रणालियों ने आधुनिक नास्तिक वैज्ञानिकों का ध्यान आकृष्ट किया है, जो प्राच्य तथा पाश्चात्य शून्यवाद की समानताओं की स्थापना आकर्षक रहस्यमयी पुस्तकों में करते हैं।
इन श्लोकों में कलियुग के अनेक नीरस लक्षणों का स्पष्ट वर्णन हुआ है। अन्तत: इस युग के अन्त में, भगवान् कृष्ण कल्कि के रूप में अवतरित होंगे और पृथ्वी से पूर्णरूपेण आसुरी मनोवृत्ति वाले लोगों का सफाया कर देंगे।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.