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श्लोक 12.2.25  |
येऽतीता वर्तमाना ये भविष्यन्ति च पार्थिवा: ।
ते त उद्देशत: प्रोक्ता वंशीया: सोमसूर्ययो: ॥ २५ ॥ |
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शब्दार्थ |
ये—जो; अतीता:—विगत; वर्तमाना:—वर्तमान; ये—जो; भविष्यन्ति—भविष्य में होंगे; च—तथा; पार्थिवा:—पृथ्वी के राजे; ते ते—वे वे, वे सभी; उद्देशत:—संक्षिप्त कथन द्वारा; प्रोक्ता:—वर्णित; वंशीया:—वंशों के सदस्य; सोम- सूर्ययो:—चन्द्र तथा सूर्य देव के ।. |
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अनुवाद |
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इस तरह मैंने सूर्य तथा चन्द्र वंशों—भूत, वर्तमान तथा भविष्य—के सारे राजाओं का वर्णन कर दिया है। |
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