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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 2: कलियुग के लक्षण  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  12.2.29 
विष्णोर्भगवतो भानु: कृष्णाख्योऽसौ दिवं गत: ।
तदाविशत् कलिर्लोकं पापे यद् रमते जन: ॥ २९ ॥
 
शब्दार्थ
विष्णो:—विष्णु के; भगवत:—भगवान्; भानु:—सूर्य; कृष्ण-आख्य:—कृष्ण नामक; असौ—वह; दिवम्— आध्यात्मिक आकाश तक; गत:—वापस जाकर; तदा—तब; अविशत्—प्रवेश किया; कलि:—कलियुग; लोकम्—इस जगत में; पापे—पाप में; यत्—जिस युग में; रमते—रमण करते हैं; जन:—लोग ।.
 
अनुवाद
 
 भगवान् विष्णु सूर्य के समान तेजवान् हैं और कृष्ण कहलाते हैं। जब वे वैकुण्ठ-लोक वापस चले गये, तो इस जगत में कलि ने प्रवेश किया और तब लोग पापकर्मों में आनन्द लेने लगे।
 
 
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