हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 2: कलियुग के लक्षण  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  12.2.31 
यदा देवर्षय: सप्त मघासु विचरन्ति हि ।
तदा प्रवृत्तस्तु कलिर्द्वादशाब्दशतात्मक: ॥ ३१ ॥
 
शब्दार्थ
यदा—जब; देव-ऋषय: सप्त—देवताओं में से सात ऋषि; मघासु—मघा नक्षत्र में; विचरन्ति—विचरण करते हैं; हि— निस्सन्देह; तदा—तब; प्रवृत्त:—प्रारम्भ होता है; तु—तथा; कलि:—कलियुग; द्वादश—बारह; अब्द-शत—शताब्दी (देवताओं के ये १,२०० वर्ष बराबर हैं पृथ्वी पर ४,३२,००० वर्ष के); आत्मक:—से युक्त ।.
 
अनुवाद
 
 जब सप्तर्षि मण्डल मघा नक्षत्र से होकर गुजरता है, तो कलियुग प्रारम्भ होता है। यह देवताओं के १,२०० वर्षों तक रहता है।
 
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥