सूत गोस्वामी ने कहा : नर के मित्र, भगवान् नारायण, बुद्धिमान मुनि मार्कण्डेय द्वारा की गई उपयुक्त स्तुति से तुष्ट हो गये। अत: वे उन श्रेष्ठ भृगवंशी से बोले।
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