श्रीमद् भागवतम
हिंदी में पढ़े और सुनें
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् भगवद गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण - लीला पुरुषोत्तम भगवान
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संसाधन
AudioBooks
संस्कृत शब्द कोष
वैष्णव कैलेंडर / पंचांग
Download
संपर्क
भागवत पुराण
»
स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग
»
अध्याय 9: मार्कण्डेय ऋषि को भगवान् की मायाशक्ति के दर्शन
»
श्लोक 10
श्लोक
12.9.10
तस्यैकदा भृगुश्रेष्ठ पुष्पभद्रातटे मुने: ।
उपासीनस्य सन्ध्यायां ब्रह्मन् वायुरभून्महान् ॥ १० ॥
शब्दार्थ
तस्य
—जब वह;
एकदा
—एक दिन;
भृगु-श्रेष्ठ
—हे भृगुवंशियों में सर्वश्रेष्ठ;
पुष्पभद्रा-तटे
—पुष्पभद्रा नदी के तट पर;
मुने:
—मुनि के;
उपासीनस्य
—पूजा कर रहे थे;
सन्ध्यायाम्
—दिन की संधि पर;
ब्रह्मन्
—हे ब्राह्मण;
वायु:
—वायु;
अभूत्
—चलने लगी;
महान्
—तेज ।.
अनुवाद
play_arrowpause
हे ब्राह्मण शौनक, हे भृगुश्रेष्ठ, एक दिन जब मार्कण्डेय पुष्पभद्रा नदी के तट पर संध्याकालीन पूजा कर रहे थे तो सहसा तेज वायु चलने लगी।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.
श्रीमद् भगवद्गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण लीला
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संस्कृत शब्द कोष
AudioBook
About
वैष्णव कैलेंडरपंचांग
Download
Connect
संपर्क
> हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥