जब भोजन तथा जल लेने की इच्छा हुई तो उदर, आँतें तथा धमनियाँ प्रकट हुईं। नदियाँ तथा समुद्र इनके पोषण तथा उपापचय के स्रोत हैं।
तात्पर्य
आँतों के अधिष्ठाता देव नदियाँ हैं और धमनियों के समुद्र हैं। उदर को भोजन तथा जल प्रदान करने से पोषण होता है और भोजन तथा जल के उपापचय से क्षय हुई शारीरिक शक्तियों की प्रतिपूर्ति होती है। अत: शारीरिक स्वास्थ्य आँतों तथा धमनियों की स्वस्थ क्रिया पर निर्भर रहता है। नदियाँ तथा समुद्र इन दोनों के अधिष्ठाता देव हैं और ये आँतों तथा धमनियों को स्वस्थ रखते हैं।
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