ईश्वर-विज्ञान (ईश-कथा) श्रीभगवान् के विविध अवतारों, उनकी लीलाओं तथा साथ ही उनके भक्तों के कार्यकलापों का वर्णन करता है।
तात्पर्य
इस ब्रह्माण्ड के अस्तित्व काल में इतिहास का अनुक्रम बनता है, जिसमें जीवात्माओं के कार्यों का लेखा-जोखा अंकित होता है। सामान्य रूप से लोगों में विभिन्न व्यक्तियों तथा कालों के इतिहास तथा आख्यानों को जानने की प्रवृत्ति होती है, किन्तु ईश्वर-विज्ञान (ईश कथा) के विषय सम्बन्धी ज्ञान के अभाव के कारण वे भगवान् के अवतारों के इतिहास का अध्ययन करने में सक्षम नहीं होते। यह सदैव स्मरण रखा जाना चाहिए है कि यह सृष्टि बद्धजीवों के मोक्ष के लिए बनी है। भगवान् अपनी अहैतुकी कृपा के कारण इस भौतिक संसार के विविध लोकों में अवतरित होकर बद्धजीवों के मोक्ष के लिए कार्य करते हैं। इससे इतिहास तथा आख्यान पठनीय बन जाता है। श्रीमद्भागवत में भगवान् तथा उनके भक्तों के सम्बन्ध में अनेक दिव्य कथाएँ हैं। फलत: भक्तों तथा भगवान् की कथाओं को आदरपूर्वक सुनना चाहिए।
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