श्रीसूत गोस्वामी ने बताया—अब मैं तुम्हें वे सारे विषय बताऊँगा जिन्हें राजा परीक्षित के द्वारा पूछे जाने पर महा-मुनि ने उनसे कहा था। कृपया उन्हें ध्यानपूर्वक सुनो।
तात्पर्य
प्रत्येक पूछे गये प्रश्न का उत्तर यदि किसी अधिकारी विद्वान का उद्धरण देकर दिया जाता है, तो उससे बुद्धिमानों की तुष्टि होती है। यहाँ तक कि न्यायालयों में भी यही विधि अपनाई जाती है। सर्वश्रेष्ठ वकील अपने मुकद्दमे की स्थापना के लिए बिना कोई कष्ट उठाये पूर्ववर्ती फैसले से साक्ष्य प्रस्तुत करता है। यह परम्परा विधि कही जाती है और विद्वान अधिकारी इधर-उधर के व्यर्थ तर्क न देकर इसका पालन करते हैं।
ईश्वर: परम: कृष्ण: सच्चिदानन्दविग्रह:।
अनादिरादिर्गोविन्द: सर्वकारणकारणम् ॥
(ब्रह्म-संहिता ५.१) हमें चाहिए कि हम परमेश्वर की आज्ञा मानें, क्योंकि प्रत्येक वस्तु में उनका हाथ है।
इस प्रकार श्रीमद्भागवत के द्वितीय स्कंध के अन्तर्गत “भागवत सभी प्रश्नों का उत्तर है” नामक दसवें अध्याय के भक्तिवेदान्त तात्पर्य पूर्ण हुए।
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