हे पिता, आपके ज्ञान का स्रोत क्या है? आप किसके संरक्षण में रह रहे हैं? आप किसकी अधीनता में कार्य करते हैं? आपकी वास्तविक स्थिति क्या है? क्या आप अकेले ही सारे जीवों को अपनी निजी शक्ति के द्वारा भौतिक तत्त्वों से उत्पन्न करते हैं?
तात्पर्य
यह श्री नारद मुनि को ज्ञात था कि ब्रह्माजी ने कठिन तपस्या करके सृजन-शक्ति प्राप्त की थी। अतएव वे यह जान सके कि ब्रह्माजी से भी श्रेष्ठ कोई है, जिसने ब्रह्मा को सृजन-शक्ति से भरपूर किया है। इसीलिए उन्होंने ये सारे प्रश्न पूछे। अतएव प्रगतिशील वैज्ञानिक उपलब्धियों की खोजें स्वतन्त्र नहीं होतीं। वैज्ञानिक को पहले से विद्यमान वस्तु का ज्ञान अन्य किसी के द्वारा प्रदत्त अद्भुत मस्तिष्क द्वारा प्राप्त करना होता है। एक वैज्ञानिक इस प्रकार से प्रदत्त मस्तिष्क से कार्य कर सकता है, लेकिन उसके लिए अपना मस्तिष्क या इसी तरह का अन्य मस्तिष्क उत्पन्न कर पाना सम्भव नहीं है। अतएव किसी भी सृष्टि के मामले में न तो कोई स्वतन्त्र है, न ऐसी सृष्टि स्वचालित है।
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