हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 8: राजा परीक्षित द्वारा पूछे गये प्रश्न  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  2.8.19 
तत्त्वानां परिसंख्यानं लक्षणं हेतुलक्षणम् ।
पुरुषाराधनविधिर्योगस्याध्यात्मिकस्य च ॥ १९ ॥
 
शब्दार्थ
तत्त्वानाम्—सृष्टि को निर्मित करने वाले तत्त्वों की; परिसङ्ख्यानम्—संख्या का; लक्षणम्—लक्षण; हेतु-लक्षणम्—कारणों के लक्षण; पुरुष—भगवान् के; आराधन—भक्ति का; विधि:—विधि-विधान; योगस्य—योग पद्धति का; अध्यात्मिकस्य—भक्ति तक पहुँचाने वाली आध्यात्मिक विधियाँ; —भी ।.
 
अनुवाद
 
 कृपा करके सृष्टि के तत्त्वमूलक सिद्धान्तों, इन सिद्धान्तों की संख्या, इनके कारणों तथा इनके विकास और इनके साथ-साथ भक्ति की विधि तथा योगशक्तियों की विधि के विषय में भी बताइये।
 
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥