यदा—जब; उपहूत:—बुलाया गया; भवनम्—राजमहल में; प्रविष्ट:—प्रवेश किया; मन्त्राय—मंत्रणा के लिए; पृष्ट:—पूछे जाने पर; किल—निस्सन्देह; पूर्वजेन—बड़े भाई द्वारा; अथ—इस प्रकार; आह—कहा; तत्—वह; मन्त्र—उपदेश; दृशाम्—उपयुक्त; वरीयान्—श्रेष्ठतम; यत्—जो; मन्त्रिण:—राज्य के मंत्री अथवा पटु राजनीतिज्ञ; वैदुरिकम्—विदुर द्वारा उपदेश; वदन्ति—कहते हैं ।.
अनुवाद
जब विदुर अपने ज्येष्ठ भ्राता (धृतराष्ट्र) द्वारा मंत्रणा के लिए बुलाये गये तो वे राजमहल में प्रविष्ट हुए और उन्होंने ऐसे उपदेश दिये जो उपयुक्त थे। उनका उपदेश सर्वविदित है और राज्य के दक्ष मन्त्रियों द्वारा अनुमोदित है।
तात्पर्य
विदुर द्वारा दिये गये राजनीति विषयक सुझाव पटु होते हैं, जिस तरह आधुनिक काल में राजनीतिक तथा आचरण-सम्बन्धी अनुदेशों के विषय में अच्छी सलाह के लिए चाणक्य पण्डित प्रमाण माने जाते हैं।
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