प्रभास तीर्थ स्थान में उन्हें पता चला कि उनके सारे सम्बन्धी उग्र आवेश के कारण उसी तरह मारे जा चुके हैं जिस तरह बाँसों के घर्षण से उत्पन्न अग्नि सारे जंगल को जला देती है। इसके बाद वे पश्चिम की ओर बढ़ते गये जहाँ सरस्वती नदी बहती है।
तात्पर्य
कौरव तथा यादवगण दोनों ही विदुर के सम्बन्धी थे। विदुर ने बन्धुघाती युद्ध के फलस्वरूप उनके सर्वनाश का समाचार सुना। जंगली बाँसों के घर्षण की तुलना आवेशपूर्ण (विक्षुब्ध) मानव समाज से करना उपयुक्त है। सम्पूर्ण संसार की तुलना जंगल से की गई है। जंगल में घर्षण के कारण किसी भी क्षण आग भडक़ सकती है। जंगल में कोई आग लगाने नहीं जाता, किन्तु बाँसों के बीच संघर्षण मात्र से अग्नि उत्पन्न हो जाती है, जो सारे जंगल को जला डालती है। इसी तरह सांसारिक मेरा-तेरा रूपी महत्तर जंगल में माया के द्वारा मोहित बद्ध आत्माओं के उग्र आवेश के कारण युद्ध रूपी अग्नि लग जाती है। ऐसी सांसारिक अग्नि सन्तों की कृपा रूपी बादल के जल से ही बुझाई जा सकती है, जिस तरह जंगल की आग केवल बादल से बरसने वाली वर्षा से बुझाई जा सकती है।
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