[कृपया मुझे बताएँ] कि कुरुओं के सबसे अच्छे मित्र हमारे बहनोई वसुदेव कुशलतापूर्वक तो हैं? वे अत्यन्त दयालु हैं। वे अपनी बहनों के प्रति पिता के तुल्य हैं और अपनी पत्नियों के प्रति सदैव हँसमुख रहते हैं।
तात्पर्य
भगवान् कृष्ण के पिता वसुदेव के सोलह पत्नियाँ थीं जिनमें से एक का नाम पौरवी या रोहिणी था, जो बलदेव की माता थीं और विदुर की बहिन थीं। इसीलिए वसुदेव विदुर की बहिन के पति थे और वे दोनों साले-बहनोई थे। वसुदेव की बहन कुन्ती विदुर के बड़े भाई पाण्डु की पत्नी थीं और उस तरह से भी वसुदेव विदुर के साले थे। कुन्ती वसुदेव से छोटी थीं और बड़े भाई का कर्तव्य है कि वह अपनी छोटी बहिनों को पुत्रियों के समान माने। जब भी कुन्ती को
किसी भी प्रकार की आवश्यकता पड़ती तो वसुदेव अपनी छोटी बहिन के प्रति अत्यधिक प्र ेम के कारण उसे उदारतापूर्वक प्रदान करते थे। वसुदेव ने अपनी पत्नियों को कभी असन्तुष्ट नहीं होने दिया और साथ ही साथ वे अपनी बहिन को इच्छित वस्तुएँ प्रदान करते रहे। वे कुन्ती का विशेष ध्यान रखते, क्योंकि वे अल्पायु में ही विधवा हो चुकी थीं। वसुदेव की कुशलता पूछते समय विदुर को ये सारी बातें तथा पारिवारिक सम्बन्ध स्मरण हो आये।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥