विदुर ने मैत्रेय से पूछा : हे प्रभु, हे परम विद्वान ऋषि, कृपा करके नित्यकाल का वर्णन करें जो अद्भुत अभिनेता परमेश्वर का दूसरा रूप है। नित्य काल के क्या लक्षण हैं? कृपा करके हमसे विस्तार से कहें।
तात्पर्य
यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड अणुओं से लेकर विराट ब्रह्माण्ड तक के चित्र-विचित्र जीवों का प्राकट्य है और यह सब परमेश्वर के काल रूप के नियंत्रण में हैं। नियंत्रक काल विशिष्ट जीवधारियों के अनुसार विभिन्न विस्तारों वाला है। परमाणु-लय के लिए एक काल है और विश्व-लय के लिए भी एक अलग काल है। मनुष्य के शरीर के लय का एक काल है और विश्व शरीर के लय का भी एक काल है। वृद्धि, विकास तथा परिणामी कर्म—ये सभी काल पर आश्रित हैं। विदुर विभिन्न भौतिक प्राकट्यों तथा उनके विलीन होने के कालों के विषय में विस्तार से जानना चाह रहे थे।
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