श्वा सृगालो वृको व्याघ्रो मार्जार: शशशल्लकौ ।
सिंह: कपिर्गज: कूर्मो गोधा च मकरादय: ॥ २४ ॥
शब्दार्थ
श्वा—कुत्ता; सृगाल:—सियार; वृक:—लोमड़ी; व्याघ्र:—बाघ; मार्जार:—बिल्ली; शश—खरगोश; शल्लकौ—सजारु (स्याही, जिसके शरीर पर काँटे होते हैं); सिंह:—शेर; कपि:—बन्दर; गज:—हाथी; कूर्म:—कछुआ; गोधा—गोसाप (गोह); च—भी; मकर-आदय:—मगर इत्यादि ।.
अनुवाद
कुत्ता, सियार, बाघ, लोमड़ी, बिल्ली, खरगोश, सजारु (स्याही), सिंह, बन्दर, हाथी, कछुवा, मगर, गोसाप (गोह) इत्यादि के पंजों में पाँच नाखून होते हैं। वे पञ्चनख अर्थात् पाँच नाखूनों वाले पशु कहलाते हैं।
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