श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 10: सृष्टि के विभाग  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.10.25 
कङ्कगृधबकश्येनभासभल्लूकबर्हिण: ।
हंससारसचक्राह्वकाकोलूकादय: खगा: ॥ २५ ॥
 
शब्दार्थ
कङ्क—बगुला; गृध्र—गीध; बक—बगुला; श्येन—बाज; भास—भास; भल्लूक—भल्लूक (भालू); बर्हिण:—मोर; हंस— हंस; सारस—सारस; चक्राह्व—चक्रवाक, (चकई चकवा); काक—कौवा; उलूक—उल्लू; आदय:—इत्यादि; खगा:— पक्षी ।.
 
अनुवाद
 
 कंक, गीध, बगुला, बाज, भास, भल्लूक, मोर, हंस, सारस, चक्रवाक, कौवा, उल्लू इत्यादि पक्षी कहलाते हैं।
 
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥