परम विद्वान मैत्रेय मुनि ने कहा : हे विदुर, इस तरह भगवान् द्वारा दी गई सलाह के अनुसार ब्रह्मा ने एक सौ दिव्य वर्षों तक अपने को तपस्या में संलग्न रखा और अपने को भगवान् की भक्ति में लगाये रखा।
तात्पर्य
ब्रह्मा ने भगवान् नारायण के हेतु अपने आपको संलग्न रखा, इसका यह अर्थ है कि उन्होंने भगवान् की सेवा में अपने को लगाए रखा। यही वह सर्वोच्च तपस्या है, जो कितने ही वर्षों तक की जा सकती है। ऐसी सेवा से कोई कभी निवृत्त नहीं होता, क्योंकि यह शाश्वत तथा सदैव उत्साहवर्धक होती है।
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