सत:—प्रभावशाली अभिव्यक्ति का; एव—निश्चय ही; पद-अर्थस्य—भौतिक वस्तुओं का; स्वरूप-अवस्थितस्य—प्रलय काल तक एक ही रूप में रहने वाला; यत्—जो; कैवल्यम्—एकत्व; परम—परम; महान्—असीमित; अविशेष:—स्वरूप; निरन्तर:—शाश्वत रीति से ।.
अनुवाद
परमाणु अभिव्यक्त ब्रह्माण्ड की चरम अवस्था है। जब वे विभिन्न शरीरों का निर्माण किये बिना अपने ही रूपों में रहते हैं, तो वे असीमित एकत्व (कैवल्य) कहलाते हैं। निश्चय ही भौतिक रूपों में विभिन्न शरीर हैं, किन्तु परमाणु स्वयं में पूर्ण अभिव्यक्ति का निर्माण करते हैं।
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