सन्ध्या—पहले का बीच का काल; सन्ध्या-अंशयो:—तथा बाद का बीच का काल; अन्त:—भीतर; य:—जो; काल:—समय की अवधि; शत-सङ्ख्ययो:—सैकड़ों वर्ष; तम् एव—वह अवधि; आहु:—कहते हैं; युगम्—युग; तत्-ज्ञा:—दक्ष ज्योतिर्विद; यत्र—जिसमें; धर्म:—धर्म; विधीयते—सम्पन्न किया जाता है ।.
अनुवाद
प्रत्येक युग के पहले तथा बाद के सन्धिकाल, जो कि कुछ सौ वर्षों के होते हैं, जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है, दक्ष ज्योतिर्विदों के अनुसार युग-सन्ध्या या दो युगों के सन्धि काल कहलाते हैं। इन अवधियों में सभी प्रकार के धार्मिक कार्य सम्पन्न किये जाते हैं।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥