ब्रह्मा के जीवन के एक सौ वर्ष दो भागों में विभक्त हैं प्रथमार्ध तथा द्वितीयार्ध या परार्ध। ब्रह्मा के जीवन का प्रथमार्ध समाप्त हो चुका है और द्वितीयार्ध अब चल रहा है।
तात्पर्य
इस ग्रन्थ में अनेक स्थलों पर ब्रह्मा के जीवन के एक सौ वर्षों की अवधि की व्याख्या की जा चुकी है और भगवद्गीता (८.१७) में भी इसका वर्णन हुआ है। ब्रह्मा की आयु के पचास वर्ष बीत चुके हैं और अगले पचास वर्ष अभी पूरे होने हैं। तब ब्रह्मा के लिए भी मृत्यु अपरिहार्य हो जाएगी।
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