ब्रह्मा के जीवन के प्रथमार्ध के प्रारम्भ में ब्राह्म-कल्प नामक कल्प था जिसमें ब्रह्माजी उत्पन्न हुए। वेदों का जन्म ब्रह्मा के जन्म के साथ साथ हुआ।
तात्पर्य
पद्मपुराण (प्रभास काण्ड) के अनुसार ब्रह्मा के तीस दिनों में कई कल्प यथा वराह कल्प तथा पितृकल्प घटित हो जाते हैं। तीस दिन का ब्रह्मा का एक मास होता है, जो पूर्ण चन्द्रमा से लेकर चन्द्रमा के अस्त होने तक चलता है। ऐसे बारह मासों से पूरा वर्ष बनता है और पचास वर्ष एक परार्ध को पूरा करते हैं, अर्थात् ब्रह्मा की आयु के आधे के तुल्य होते हैं। भगवान् का श्वेत वराह प्राकट्य ब्रह्मा का पहला जन्मदिन है। ब्रह्मा की जन्मतिथि हिन्दू ज्योतिष गणना के अनुसार मार्च मास में पड़ती है। यह कथन श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर की व्याख्या से जैसे का तैसा उद्धृत है।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.