प्रथम ब्राह्म-कल्प के बाद का कल्प पाद्म-कल्प कहलाता है, क्योंकि उस काल में विश्वरूप कमल का फूल भगवान् हरि के नाभि रूपी जलाशय से प्रकट हुआ।
तात्पर्य
ब्राह्म-कल्प के बाद का कल्प पाद्म-कल्प कहलाता है, क्योंकि उस कल्प में विश्व रूपी कमल विकसति होता है। कुछ पुराणों में पाद्म-कल्प को पितृकल्प भी कहा गया है।
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