एक नाडिका या दण्ड के मापने का पात्र छ: पल भार (१४ औंस) वाले ताम्र पात्र से तैयार किया जा सकता है, जिसमें चार माषा भार वाले तथा चार अंगुल लम्बे सोने की सलाई से एक छेद बनाया जाता है। जब इस पात्र को जल में रखा जाता है, तो इस पात्र को लबालब भरने में जो समय लगता है, वह एक दण्ड कहलाता है।
तात्पर्य
यहाँ यह सलाह दी जाती है कि ताँबे के मापक पात्र में जो छेद बनाया जाय वह छेद चार माषा से अधिक भार वाली तथा चार अंगुल से अधिक लम्बी सलाई से न बनाया जाय। इससे छेद का व्यास सही रहता है। इस पात्र को जल में रखा जाता है। उसके ऊपर तक भर जाने का समय दण्ड कहलाता है। दण्ड की अवधि मापने की यह दूसरी विधि है, जिस तरह कि काँच के पात्र में बालू से समय मापा जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वैदिक सभ्यता के दिनों में भौतिकी, रसायन शास्त्र या उच्चतर गणित का अभाव न था। मापों की गणना सरल से सरल रूप में अनेक विधियों से की जाती थी।
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